बुधवार, 8 अक्तूबर 2008

आदमी के ख्याल

मैं यह करूँगा, मैं वह करूँगा
मैं यह बनूँगा, मैं वह बनूँगा
यह मेरा है, वह मेरा है
सब महज
महज ख्याल हैं आदमी के

सत्य केवल वही है
जो
"उसे" मंजूर है
वह चाहे तो
बस एक पल में
सब कुछ बदल दे
अमीर को गरीब
गरीब को अमीर
राजा को रंक और
रंक को राजा कर दे

1 टिप्पणी:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया ! स्वानुभव पर अधारित रचना लगती है।
बहुत सही लिखा है।बधाई।