शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

अमन की आशा

अमन की आशा
हम करते हैं
अमन की आशा
में
जीते है और मरते हैं

आशा यही कि
कभी तो बर्फ पिघलेगी
कभी तो सरहदें टूटेंगी
कभी तो
हिन्दुस्तानी भाई
अपने
पाकिस्तानी भाई
से
खुलकर मिल पायेगा
दिल कि बात
दिल से
कर पायेगा

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