मंगलवार, 23 मार्च 2010

फूल और कांटे

फूलों को सभी चाहते हैं
काँटों को कौन चाहता है ?

सुखों को सभी चाहते हैं
दुखों को कौन चाहता है ?

अच्छों को सभी चाहते हैं
बुरों को कौन चाहता है ?

सोमवार, 1 मार्च 2010

कन्या दुनिया

कन्या भ्रूण की
या फिर
नवजात कन्या की
हत्या करने वालों
ज़रा सोचिये
यदि कन्या न होती
तो
मां कैसे होती
आप कैसे होते
कन्या है तो
आपका वजूद है
न होगी कन्या
तो
न होगी दुनिया

सही गलत

हम जन्नते हैं
कि
क्या सही है हमारे लिए
पर
न जाने क्यों कर नहीं पाते हैं

हम जानते हैं
कि
क्या गलत है हमारे लिए
पर
बरसों से किये चले आ रहे हैं
और
बस ऐसे ही जिए जा रहे हैं

सोचते हैं पर भूल जाते हैं

सोचते हैं
हमारे पास अच्छे जूते नहीं हैं
क्यों भूल जाते हैं
जिनके पास पैर भी नहीं हैं

सोचते हैं
हमारे पास अच्छे कपडे नहीं हैं
क्यों भूल जाते हैं उन्हें
जिन्होंने ज़िन्दगी में कपडे पहने ही नहीं

सोचते हैं
हमारी पसंद का खाना नहीं मिलता
क्यों भूल जाते हैं उन्हें
जिन्हें जिंदगी में भर पेट खाना भी नहीं मिलता