शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

वो कचरा बीनती है

वह रोज़ सवेरे
सड़क पर आ जाती है
अपनी दूध पीती बच्ची
को
जुगाड़ के झूले में
लिटाकर
कचरा बीनने में लग जाती है

कागज़ का टुकड़ा
प्लास्टिक की बोतल
आपके, हमारे फेंके हुए
सरे बेकार सामान
उसके बड़े काम के होते हैं


आप - हम
पेट भरकर
जो रोटियां और रोटियों के टुकड़े
फेंक देते हैं
वही उसका पेट भरते हैं

वही बीन हुआ कचरा
वही बचा -खुचा खाना
उसका सारा परिवार चलाते हैं

शनिवार, 8 अक्तूबर 2011

समय परिवर्तन


पहले
लोगों के घरों पे
आदमी खड़े होते थे
कि
कहीं कोई कुत्ता न आ जाये


अब
लोगों के घरों पे
कुत्ते खड़े रहते हैं
कि
कहीं कोई आदमी न आ जाये

शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

बत्तीस

इंदिरा अम्मा
ने
नारा दिया था
' गरीबी हटाओ'

अब इन्होने
गरीबों का नाम ही
आमिर कर दिया

"बत्तीस" के फार्मूले से
सबकी बत्तीसी खिल गयी
अब जो रोज़
रुपये बत्तीस कमाएगा
गरीब
नहीं
अमीर
कहलायेगा

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

अपना या सपना

लोगों से
मिलते रहने से

पता तो चलता है
कि
कौन कैसा है ?
कौन अपना है
और
कौन महज सपना है

शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

महंगाई मार गयी

महंगाई मार गयी

बिजली को महंगा किया
फिर
पेट्रोल के भाव बदा दिए
अब
ब्याज दर बढाके
लोन महंगे कर दिए
अब सुनते हैं
कि
घरेलू गैस कि बारी है
तब
आम आदमी क्या खाक जियेगा
जीते जी मर ही जायेगा

शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

वाह महंगाई

वाह महंगाई

इस बदती महंगाई
से
बहुत जल्द
आम आदमी
आम के भाव में
गुठली
खाना सीख जायेगा

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

टोबा टेकसिंग

मंटो का बिशन
टोबा टेकसिंग  वाला बिशन
ऐसा लगता है
कि
मैं ही वो बिशन था

मेरे दिल ने तब भी
विभाजन
स्वीकार नहीं किया था

मेरा दिल अब भी
विभाजन को नहीं मानता
फर्क
सिर्फ इतना है
तब मैं कहता रहता था
ओ पड़दी गिद गिड दी
मुंग दी दाल दी ऑफ़ लालटेन
तब लोग
उसे बडबडाना कहते थे
लोग कहते थें
मुरख  है 

और अब
मैं बोलते बोलते चुप हो जाता हूँ
बोल नहीं पाता
लोग कह नहीं पाते हैं
समझते हैं कि मूर्ख  है

तब का बडबडाना जो कुछ भी था
अब कि चुप्पी  कुछ भी है
विभाजन तब भी गलत था
विभाजन अब भी गलत है

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

कौन जाने

क्या आप जानते हैं 
एक दिन आप नहीं रहेंगे 
तो कौन जाने 
कितने  लोग आपके लिए रोयेंगे ?
और
कितना रोयेंगे ?

ये तो इस पर निर्भर है 
कि
आप कितना लोगों का भला करेंगे  
और 
कितनों  के लिए करेंगे 

सही तो कहा है
जैसा आप बोयेंगे 
वैसा ही 
फल आप पाएंगे 
  



सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

" रिमोट"

आपके अमूल्य जीवन का 
" रिमोट" 
किसी  और के हाथ में क्यों होता है ?

वो 
जब चाहे आपका चैनल बदल देता है 
जब चाहे आपका "वोल्युम" घटा देता है 
और 
जब चाहे आपका " वोल्युम" बड़ा देता है
और तो और 
जब वो चाहे आपको " म्युट" भी कर देता है 

यदि आप अपना जीवन वास्तव में जीना चाहते है तो 
अपने 
" रिमोट" किसी के हाथ में न दे 
और यदि दे दिया हो तो 
जल्द से जल्द  तोड़ दे  
  

शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

प्रेम दीवाना

प्रेम जब कहीं  भी 
किसी को भी 
किसी से भी हो जाता है 
दिल बेचारा कुछ नहीं कर पाता है 
बस खो जाता है 

दिल तो खो जाता है 
और फिर 
इंसान इंसान नहीं रह जाता 
बस दीवाना हो जाता है 


शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

ख़ुशी गम

नीली छतरी वाले की
अजब माया है 
कहीं दीखता नहीं है 
पर
सभी ओर छाया है 

कहीं खुशियाँ इतनी 
कि
समंदर भी छोटा पड़ जाये 
और
कहीं ग़मों का है अम्बार 
ऐसा कि 
इंसान ग़मों के बोझ के नीचे दबा जाता है  




बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

खाली नाव

खाली नाव

कभी कभी जीवन 
खाली नाव सा क्यों प्रतीत होता है ?
खाली बंधी हुई नाव 
डोल रही लहरों पर 
ऐसे
जैसे बुदापे का खालीपन 
न शिकायत किसी से कर पाए
न कभी बगावत कर पाए 
नाव ऐसी जो लहरों पर है 
पर चल नहीं पाए 
चप्पू तो है पर कोई खेनेवाला नहीं है 



गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

प्रकृति

प्रकृति

शीशे चड़ाए
हवादार गाड़ियों में जो घूमते हैं
उनसे ज़रा पूछिए
क्या कभी प्रकृति का आनंद लिए हैं ?

क्या कभी हरे भरे पेड़ों को देखा है ?
हरे भरे पेड़ो कि पत्तियां  सरसराती सुनी हैं ?

हरे बारे पेड़ों पे बैठी चिड़ियाएँ
चहचहाती  सुनी है ?


प्रार्थना



प्रार्थना 
प्रार्थना जब भी  करें 
जिससे भी करें 
जैसे भी करें 
शब्दों की ज़रूरत नहीं 
मन से हो जाती है 
मन से ही की जाती है