रविवार, 30 जून 2013

इंतजार 

 तीरथ करने जो गए 
 कुछ लौट पाए 
कुछ रह गए 
जो रह गए वहीँ 
जिंदा या मुर्दा 
कुछ पता नहीं किसी का 

तीरथ जो हैं मरघट बने पड़े हैं 
तीर्थयात्री मुर्दों के ऊपर मुर्दो से  अटे पड़े हैं 

किसी ने भाई ,बेटा ,पति,पोता खोया 
किसी ने बहन,बेटी पत्नी ,पोती को है खोया 
जिसने जो खोया वो बस है रोया 
कब खबर आएगी 
अच्छी खबर आएगी या फिर बुरी 
कुछ खबर नहीं 
जब आएगी तब आएगी 
तब तक सिर्फ तकना है 
कि 
कभी तो कोई आएगा 
अपनों की 
कुछ तो खबर लायेगा
 
इंतजार है 
इंतजार रहेगा 
कहीं दिनों का 
कहीं महीनों का 
और 
कहीं कहीं तो शायद 
पूरा जीवन 
इंतजार 

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