गुरुवार, 2 जनवरी 2014

इंसान और हैवान



इन्सान
सरहद के इस पार भी हैं 
इन्सान 
सरहद के उस पार भी हैं 
इन्सान 
यहाँ के 
इन्सान 
वहाँ के 
दिल से दिल जोड़कर चलना चाहते हैं 
लेकिन 
सियासत दान 
इधर के 
या 
सियासत दान 
उधर के 
इन्सान नहीं हैवान होते हैं 
सियासत दान 
लोगों को बांटकर 
लोगों के दिलों को काटकर 
अपना उल्लू सीधा करते हैं 
और 
ये इन्सान  यहाँ के 
या फिर 
इन्सान  वहाँ के 
बस 
दिल मसोसकर 
रह जाते हैं 
और 
सियसत दान 
दोनों तरफ के 
अपनी अपनी 
सियासती  रोटियां 
सेकते रहते हैं 

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